ख्वाबों के बक्से को ताला मार
जब आँखें मूंद कोई सोता है
तब वह थोड़ा मरता है
खीज में जी कर ख़ुद को भुलाकर
जब ख़ुदी में छिप कोई खोता है
तब वह थोड़ा मरता है
आईने में एक चहकता बच्चा देख
जब उम्र के बीज कोई बोता है
तब वह थोड़ा मरता है
टहनी से गिरा एक पुष्प लाचार सा
जब मुसाफ़िर की बाट कोई जोहता है
तब वह थोड़ा मरता है
मर्दों की बसाई इस दुनिया में
जब कोने में बिखर कोई रोता है
तब वह थोड़ा मरता है
नैतिक दबाव में परछाईं भी भूल
जब अस्तित्व का भार कोई ढोता है
तब वह थोड़ा मरता है
दिल से दिल के शातिर व्यापार में
जब इंसा से पुतला कोई होता है
तब वह थोड़ा मरता है
kaafi sachh!
LikeLiked by 1 person
Satya hi jeevan hai
LikeLike
Beautiful!
LikeLiked by 1 person
Thank you
LikeLiked by 1 person